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मैं उलझा तो सकता हूँ, पर सुलझाना मेरा काम नहीं, उठ

मैं उलझा तो सकता हूँ, पर सुलझाना मेरा काम नहीं,
उठा सकता हूँ उंगलियां, दिल बहलाना मेरा काम नहीं।
लांछन लगा सकता हूँ, पर किसी का घर बसाना मेरा काम नहीं,
दे सकता हूँ हजारों आंसू, रोते को हंसाना मेरा काम नहीं।।
जी हाँ, मैं आज का नया इंसान हूँ।।

- Nitin Kr Harit मैं उलझा तो सकता हूँ, पर सुलझाना मेरा काम नहीं,
उठा सकता हूँ उंगलियां, दिल बहलाना मेरा काम नहीं।
लांछन लगा सकता हूँ, पर किसी का घर बसाना मेरा काम नहीं,
दे सकता हूँ हजारों आंसू, रोते को हंसाना मेरा काम नहीं।।
जी हाँ, मैं आज का नया इंसान हूँ।।

-Nitin Kr Harit
मैं उलझा तो सकता हूँ, पर सुलझाना मेरा काम नहीं,
उठा सकता हूँ उंगलियां, दिल बहलाना मेरा काम नहीं।
लांछन लगा सकता हूँ, पर किसी का घर बसाना मेरा काम नहीं,
दे सकता हूँ हजारों आंसू, रोते को हंसाना मेरा काम नहीं।।
जी हाँ, मैं आज का नया इंसान हूँ।।

- Nitin Kr Harit मैं उलझा तो सकता हूँ, पर सुलझाना मेरा काम नहीं,
उठा सकता हूँ उंगलियां, दिल बहलाना मेरा काम नहीं।
लांछन लगा सकता हूँ, पर किसी का घर बसाना मेरा काम नहीं,
दे सकता हूँ हजारों आंसू, रोते को हंसाना मेरा काम नहीं।।
जी हाँ, मैं आज का नया इंसान हूँ।।

-Nitin Kr Harit