आज इस नरसंहार के समय में जो लोग मौन हैं,चुप हैं,प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस नरसंहार में शामिल हैं,जिनके लिए जात पात से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं,जिनके लिए राजनीति ही सबकुछ हैं,जिनके लिए आपदा, अवसर के समान है,जो लाशों का व्यापार कर रहे हैं,जों सांसों का मोल भाव कर रहे हैं,जिनके लिए आंसू सिर्फ और सिर्फ पानी की बूंदे हैं,जिनके लिए सत्ता,कुर्सी,पैसा ही इमाम हो...जिनके लिए फायदा ही सबसे बड़ी उपलब्धि हो..जब इतिहास आपसे और आपके अगली पीढ़ी से सवाल करेगा तो क्या जवाब दोगे बेशर्मों, क्या कह पाओगे कि जब लोगों के आंखों में आंसू थे तो ,हम चैन की नींद सो रहे थे,क्या कह पाओगे की जब मताओं,बहनों का सिंदूर संकट में था तो हम सिंदूर से सौदा कर रहे थे,क्या कह पाओगे की जब बच्चे बिलख रहे थे,बुजुर्ग तड़प रहे थे,तो हम सांसों का सौदा कर रहे थे,क्या कह पाओगे की जब श्मसान लाशों से भरा हुआ था,तो हम लाशों पर अय्याशी कर रहे थे...क्या कह पाओगे की जब देश में कोहराम मचा हुआ था,तो हम शादियों में नाच रहे थे,क्या कह पाओगे जब किसी कि अर्थी निकाल रही थी,तो हम अपनी डोली सजा रहे थे...नहीं कह पाओगे निर्लज्जों,कुछ नहीं कह पाओगे बेशर्मों,तुम्हरा सिर इतिहास के सामने झुका होगा,जैसे सीता मैया के सामने अयोध्या का,और द्रौपदी के सामने हस्तिनापुर का झुका हुआ था,,जब मौका मिला है तो धर्म का साथ क्यूं नहीं देते,मानव में जन्म मिला हैं तो मानवता क्यूं नहीं दिखाते,यही वक्त हैं सुधर जाओ वरना अगली बारी तुम्हारी हैं फिर मत कहना कि मेरे साथ क्यूं हो रहा है,भगवान को दोष मत देना.. जिंदा हो, तो जिंदा दिखना जरूरी है... धन्यवाद.. ©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist) #korona