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"मेरे आख़री लफ्ज़ " लिखना मेरा सिर्फ शौक नहीं, लिखन

"मेरे आख़री लफ्ज़ "

लिखना मेरा सिर्फ शौक नहीं, लिखना मेरा जूनून हैं मैं सब कुछ भूल सकती हूँ अपनी ज़िन्दगी मे पर लिखना नहीं क्योंकि लिखने से मुझे जीने की नई प्रेरणा मिली हैं लिखने से मैंने ज़िन्दगी क़ो नए सिरे से देखना शुरू किया हैं। लेक़िन मुझे लिखने की प्रेरणा अपने जीवन की परेशानियों से मिली हैं मेरे जीवन में बहुत सी परेशानिया दुख आए हैं लेक़िन कभी हार नहीं मानी इसी बात से प्रेरित होकर मैंने सकरात्मक लिखना सीखा हैं।

मैं चाहती हूँ की मेरे लेखन से लोग प्रेरित होकर अपनी नकरात्मक सोच  क़ो छोड़कर सकरात्मक सोच क़ो अपनाएं ताकि लोग अपने जीवन की परेशानियों से बाहर निकलकर ख़ुद क़ो मजबूत बनाएं औऱ मैं आख़री शब्द तभी लिखूँगी ज़ब मेरे जीवन के आख़री पल होंगे लेक़िन मेरे वो आख़री लफ्ज़ भी कुछ ना कुछ सीखाकर ही जाएंगे आपको, मैं कल रहूँ या ना रहूँ मेरी रचनाएँ हमेशा आपका हौसला बढ़ाएंगी ज़ब भी निराश हो आप instagram पर मेरी ज़िन्दगी की सच्ची कहानी जरूर पढ़ना।


"लेखिका पूर्णिमा राय"

©Purnima Rai
  मेरे आख़री लफ्ज़






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Purnima Rai

New Creator

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