इश्क़ के मारे है हम , इस क़दर कोई आलम तो पुछे । इंतज़ार अभी बाक़ी है उनका , कोई हाल तो पुछे।। दीदार को तरसे हम , उनकी चमकती आँखों का कोई राज़ पूछे। बेख़बर है वो हमसे ऐसे , बातों-बातों में कोई हमारी बात पुछे।। परेशान है उनके जवाब से , कोई सही जवाब तो पुछें। ग़र है मोहब्बत तो हमसे , कोई नज़रे मिला कर पुछें।। खामोश है एक असरे से हम , कोई हाल-ऐ-दिल तो पुछे। आँखों का इशारा काफी है , कोई दिल-ऐ-दास्तान तो पुछे।। जिस्म को नही रूह को तरसे है , हमसे रूह ही पुछे। मिलेंगे ऐसे फिर कब , सागर को कोई किनारा पुछे।। -🖋️मेरी_रूह #poetry