ना जाने किस सोच में अब हम डूबे रहते है.... ना आता कोइ नज़र हमें... ना बात सुनाई पडती है... ना जाने अब कैसी उलझन हैं... सपनों मे खोए हम रहते है.... ©Yogita Sahu सपनों में खोए रहते है