मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया, ले चला औज़ार अपने, फिर किसी का घर बनाने, छोड़ कर अपने सपनों को, दुसरो के सपने सजाने, आवाज देती है माँ, तू छत टपकता छोड़ गया, मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया !! हमको मेले में ले चलो, बच्चे ये कबसे कह रहे, दोस्त सुनाते है किस्से, और हम बस ताने सह रहे, खुशियाँ नहीं तू दुःख देख, एक पैसे वाला ये कह गया, मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया !! अच्छे नंबरो से पास हुआ हू, आगे पढ़ने की फीस तो दो, अपने इस बेटे को दुनिया से लड़ने की रीस तो दो, शिक्षा पर बस अमीरो का अधिकार ही तो रह गया, मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया !! बेटी की शादी पर कौन सी जमीन गिरवी रखू , किस लालची समधी के पैरो में मैं पगड़ी रखू , खुश रहे, आबाद रहे अपमान ये भी मैं सह गया, मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया !! अलविदा कहता हू अब मैं, बुरा बहुत अब सुन लिया, गरीब के घर पैदा हो मैंने अपना भाग्य चुन लिया, जो अगर बदला समाज, फिर सपने पूरे करने आऊंगा, निराशा को आशा में बदलने मैं फिर आऊंगा, इस जन्म का कर्म जो था वो कर्म पूरा कर गया, मैं गरीब, इंसान से एक शब्द बनकर रह गया, अपने सपनों को खुद में दफ़्न करके सह गया !! ©Mohit Chawla #father #mother #riwaz #nojato #gareeb #village #Life #Life_experience #Love #jail