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डलती हुई शाम का शोर कह रहा है! तुम दो पल बैठो तो प

डलती हुई शाम का शोर कह रहा है!
तुम दो पल बैठो तो पास
ये मौसम की बारिश ये घटाऐं बरसने तो दो
उउफफफफफ ये मेरी नादान ख्वाहिशें|||||🙄🙄 an unknown dezire
डलती हुई शाम का शोर कह रहा है!
तुम दो पल बैठो तो पास
ये मौसम की बारिश ये घटाऐं बरसने तो दो
उउफफफफफ ये मेरी नादान ख्वाहिशें|||||🙄🙄 an unknown dezire