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जहां बैठा था महबूब , मैं भी जाकर वहीं बैठ गयी,

जहां बैठा था  महबूब , मैं भी  जाकर  वहीं बैठ गयी,
क्या था फ़िर, नज़र मे  तो पूरी महफ़िल ही बैठ गयी,

कहे क्या कि क्या था मंज़र उस हसीन शाम का तब,
जब पीछे आ के उसकी पुरानी महबूबा भी बैठ गयी,

तुमने सुनी नहीं सदाएं जो देता रहा आसमान भी ये,
बारिश हो रही थी,तो फिर मैं जहां थी वहीं बैठ  गयी,

ये जो परिंदे ले जा जा कर देते हैं इश्क के ख़त सारे,
मैं तो चिठ्ठी थी एक ,बटुए में जाकर के ही बैठ  गयी,

हसीन था मिलन सितारों से सितारों का जान-ए-जां,
आसमां की ख़्वाईश में तो फ़िर ये ज़मीं भी बैठ गयी। #NojotoQuote #liners
#nojoto #nojotowriters #nojotowrites #nojotohindi #quites #life #thoughts
जहां बैठा था  महबूब , मैं भी  जाकर  वहीं बैठ गयी,
क्या था फ़िर, नज़र मे  तो पूरी महफ़िल ही बैठ गयी,

कहे क्या कि क्या था मंज़र उस हसीन शाम का तब,
जब पीछे आ के उसकी पुरानी महबूबा भी बैठ गयी,

तुमने सुनी नहीं सदाएं जो देता रहा आसमान भी ये,
बारिश हो रही थी,तो फिर मैं जहां थी वहीं बैठ  गयी,

ये जो परिंदे ले जा जा कर देते हैं इश्क के ख़त सारे,
मैं तो चिठ्ठी थी एक ,बटुए में जाकर के ही बैठ  गयी,

हसीन था मिलन सितारों से सितारों का जान-ए-जां,
आसमां की ख़्वाईश में तो फ़िर ये ज़मीं भी बैठ गयी। #NojotoQuote #liners
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