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कैसा लगा है(ग़ज़ल) मुझसे बिछड़ के बोलो आज कैसा लग

कैसा लगा है(ग़ज़ल)

मुझसे बिछड़ के बोलो आज कैसा लगा है।
जो छेड़ दिया है वो साज कैसा लगा है।

कब से छुपाए फिरते थे दिल में कभी तुम।
वो खुल गया है आज, राज़ कैसा लगा है।

मैने सॅंभाल रक्खा है जो दे गए हो तुम।
मैं हूं मजे में मेरा मिजाज़ कैसा लगा है।

जो दे गए थे,तुम वो लौटा दिया तुम्हें।
पहनके दर्दों गम का ताज कैसा लगा है। 

ये रात,ये खामोशी और ये अकेलापन।
पाकर के सबको साथ आज कैसा लगा है।

नूतन सी जिंदगी थी,नवल था हर एक पल।
बदल गए हैं सारे रिवाज कैसा लगा है।।

©Dr Nutan Sharma Naval
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