उसे जाना था मुझसे दूर !मैंने भी उसे रोका नहीं उसकी फितरत को कभी पहचाना नहीं हाले तमन्ना को उसके मैंने कभी टोका नहीं वो मेरा कभी था ही नहीं इसलिए मैंने भी उसे रोका नहीं घावों की बौछार उसने कई बार की पहले भी मैंने उसकी हर खता को नकारा भी शायद एक न एक दिन वो होगा हमारा भी ये ख्वाब रहा हमेशा अधूरा ही वो चाहे तो लोट आये वापस पर अब मैं उसकी दुबारा बन जाऊं ये अब मुझे गवारा नहीं उसकी असलियत को पहचाना नहीं हम नादान थे उसकी खता को जताया नहीं प्यार को उसके फिर भी निभाते रहे ये उसने कभी जाना ही नहीं मेरे दिल की चाहत को वो अपनाता नहीं