मधुमास की हरियाली और फूलों की महक मुझको भूली है वह याद कर रहा नाहक। अपना-अपना नसीब किसी को मिले दर्द ओ बेदर्दी के सबब और किसी को 'हग'। भावनाओं को उजागर करना देख मकाम तीर निशाने ना लगे तो बड़े बुरे हैं अंज़ाम।। ©Mohan Sardarshahari Hug