रोका था आंसुओं को पर बो मेरा कहा कँहा मानते है, तुम्हारी कितनी याद आती है ये बस वही जानते है। यक़ीन न हो मेरी बात पर तो उन्हीं से पूँछ लेना, अपनी ज़िदगी में सबसे जरूरी हम किसे मानते है। सिर्फ़ तुम रोका था आंसुओं को पर बो मेरा कहा कँहा मानते है, तुम्हारी कितनी याद आती है ये बस वही जानते है। यक़ीन न हो मेरी बात पर तो उन्हीं से पूँछ लेना, अपनी ज़िदगी में सबसे जरूरी हम किसे मानते है। सिर्फ़ तुम