झुकी पलकें उठकर फिर झुक जाती थी दिल की बातें बयां करने से डरता था, यह दिल रात दिन दिल खुदा से बस उसको ही मांगा करता इश्क़ उसका मिला तो ज़िंदगी के मायने बदले अब रात भर जागा करते हैं, उनसे बातें करने को लापरवाह था जो ,अब वो परवाह करने लगा इश्क़ में जान और तन निसार करने लगा Challenge-165 #collabwithकोराकाग़ज़ आज फिर आपको दो विषय दिए जा रहे हैं कोलाब करने के लिए। तो बताइए समूह को कि इश्क़ से पहले और इश्क़ के बाद क्या होता है। दोनों विषय एक लेखक भी लिख सकता है या फिर एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित कर सकता है। कोई शब्द सीमा नहीं है और जितने चाहो कोलाब कीजिए और जितनी चाहो काॅमेंट। परन्तु जितने कोलाब उतनी काॅमेंट। (Font=Eczar=13)