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कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई, कितने ही फ

कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई,
कितने ही फांसी पर चढ़े, कितनों ने जान गंवाई ।

कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है,
सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है ।

दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे,
अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे ।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब हुआ करते थे,
अनेक जातियां थी फिर भी वो भाई हुआ करते थे ।

अपनी परवाह किए बिना भविष्य नया लिख रहे थे,
स्वाधीनता का नया बीज इस मिट्टी में बो रहे थे ।

जोश और जुनून इस कदर सर पे चढ़ा होता था,
कांपते थे पैर दुश्मनों के जब देशभक्त खड़ा होता था ।

जो लड़ें ब्रिटिशी हुकूमत से हर वक्त सीना ताने,
झुके नहीं किसी के आगे वो भारत माँ के दीवाने ।

ना की परवाह अपनी, ना ही अपनों की,
फंदे पे लटका दी ख्वाहिशें यूहीं अपने सपनों की ।

देश के खातिर मर मिटने वाला हर एक शहीद अमर हुआ,
इसके खिलाफ़ जो खड़ा हुआ वो जीते जी दफ़न हुआ ।

©तुषार "बिहारी"
  कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई,
कितने ही फांसी पर चढ़े, कितनों ने जान गंवाई ।

कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है,
सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है ।

दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे,
अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे ।

कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई, कितने ही फांसी पर चढ़े, कितनों ने जान गंवाई । कतरा कतरा खून से लिखी गई कहानी है, सेनानियों के बलिदानों की ये अमर कहानी है । दिन भर के अनेक संघर्षो से वो थकते नहीं थे, अपनी मातृभूमि के खातिर जातियों में बंटते नहीं थे । #India #RepublicDay #कविता #republicday2023

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