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तुम हो पूर्णिमा की चाँद जैसी तुम पे तो रौशनी मेरी

तुम हो पूर्णिमा की चाँद जैसी
तुम पे तो रौशनी मेरी ही पड़ी है
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा 
मोहब्बत अपनी अभी नई है।-2
तेरे होठों पे जो रंग खिला है
मेरी ही तो लाली पड़ी है,
तेरी हाथों में जो मेहंदी रची है,
उसमे भी तो मेरी छवि है।
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा..
मोहब्बत अपनी अभी ..
बिन आमावस्या कहाँ गये तुम,
क्या अम्बुद के पीछे छुप गये तुम।
सुन ओ जलधर उन्हें मना लो,अपनी मेघों की छाया देदो
शायद मुझसे जाली हुई हैं।
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा..
मोहब्बत अपनी अभी ..
 चंदा ##चंदा
तुम हो पूर्णिमा की चाँद जैसी
तुम पे तो रौशनी मेरी ही पड़ी है
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा 
मोहब्बत अपनी अभी नई है।-2
तेरे होठों पे जो रंग खिला है
मेरी ही तो लाली पड़ी है,
तेरी हाथों में जो मेहंदी रची है,
उसमे भी तो मेरी छवि है।
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा..
मोहब्बत अपनी अभी ..
बिन आमावस्या कहाँ गये तुम,
क्या अम्बुद के पीछे छुप गये तुम।
सुन ओ जलधर उन्हें मना लो,अपनी मेघों की छाया देदो
शायद मुझसे जाली हुई हैं।
मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा..
मोहब्बत अपनी अभी ..
 चंदा ##चंदा
raviravi7500

Ravi Ravi

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चंदा ##चंदा