रूठे ख़्वाबों को मना लेंगे, कटी पतंगों को थामेंगे!! हो हो है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा!! सोयी तकदीरें जगा देंगे, कल को अम्बर भी झुका देंगे!! हो हो है जज़्बा, सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा!! 🙏🙏🙏🙏🙏