मेरी तिश्ऩगी ने चाहा था महज़ एक श़बनमी क़तरा... और तूने बख्श़ दिया एक पूरा दरिया आग का.... ये तेरी फ़राख़दिली !!!! मरहबा..... मरहबा .... — % & ♥️दिल की देहरी से♥️ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 मेरी तिश्ऩगी ने चाहा था महज़ एक श़बनमी क़तरा... और तूने बख्श़ दिया एक पूरा दरिया आग का.... ये तेरी फ़राख़दिली !!!! मरहबा..... मरहबा .... ©️©️©️©️©️ ❣❣❣❣❣