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फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था रंजिश में रिश्ता 

फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था
रंजिश में रिश्ता निभाना मुमकिन नहीं था 

ये दूरियाँ फ़क़त तेरे मेरे दरमियाँ रहीं 
पर तुम्हें भूल जाना मुमकिन नहीं था 

वाक़िफ़ हूँ इंतज़ार में आबशार हैं आँखें 
हर बार लौट आना मुमकिन नहीं था 

मै देखता हूँ वही सब जो देखते हो तुम 
बस तुम्हें नज़र आना मुमकिन नहीं था 

जिनके साथ साथ हुए जवान हम भी 
उन्हें अजनबी बताना मुमकिन नहीं था 

इकरार है अंधेरी रातों कि तन्हाई में 
हरबार चाँद को मनाना मुमकिन नहीं था 

ये जानकर की टूट जाएँगे फलक के शौक़ 
कच्ची मिट्टी के घर सजाना मुमकिन नहीं था 

उन्हें ये ग़म की “वत्स” लिखता रहा ग़ज़ल 
हर बार उन्हें लिख पाना मुमकिन नहीं था #मुमकिन_नहीं #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqquotes #hindipoetry  

फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था
रंजिश में रिश्ता निभाना मुमकिन नहीं था 

ये दूरियाँ फ़क़त तेरे मेरे दरमियाँ रहीं 
पर तुम्हें भूल जाना मुमकिन नहीं था 
फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था
रंजिश में रिश्ता निभाना मुमकिन नहीं था 

ये दूरियाँ फ़क़त तेरे मेरे दरमियाँ रहीं 
पर तुम्हें भूल जाना मुमकिन नहीं था 

वाक़िफ़ हूँ इंतज़ार में आबशार हैं आँखें 
हर बार लौट आना मुमकिन नहीं था 

मै देखता हूँ वही सब जो देखते हो तुम 
बस तुम्हें नज़र आना मुमकिन नहीं था 

जिनके साथ साथ हुए जवान हम भी 
उन्हें अजनबी बताना मुमकिन नहीं था 

इकरार है अंधेरी रातों कि तन्हाई में 
हरबार चाँद को मनाना मुमकिन नहीं था 

ये जानकर की टूट जाएँगे फलक के शौक़ 
कच्ची मिट्टी के घर सजाना मुमकिन नहीं था 

उन्हें ये ग़म की “वत्स” लिखता रहा ग़ज़ल 
हर बार उन्हें लिख पाना मुमकिन नहीं था #मुमकिन_नहीं #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqquotes #hindipoetry  

फिर रुक कर बुलाना मुमकिन नहीं था
रंजिश में रिश्ता निभाना मुमकिन नहीं था 

ये दूरियाँ फ़क़त तेरे मेरे दरमियाँ रहीं 
पर तुम्हें भूल जाना मुमकिन नहीं था 
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