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दिन ढला रात हुई हम सो गए मंजिलों के सपनों में हम ख

दिन ढला रात हुई हम सो गए
मंजिलों के सपनों में हम खो गए
और 
किसी को परवाह नहीं ये दुनिया धरती पर क्या क्या करती 
और धरती कितना बोझ ये सहती

©Abhishek yadav स्वयं रचित।  पंक्तियां

#rayofhope
दिन ढला रात हुई हम सो गए
मंजिलों के सपनों में हम खो गए
और 
किसी को परवाह नहीं ये दुनिया धरती पर क्या क्या करती 
और धरती कितना बोझ ये सहती

©Abhishek yadav स्वयं रचित।  पंक्तियां

#rayofhope

स्वयं रचित। पंक्तियां #rayofhope