( कवि अपनी प्रेमिका से कहता है ) मैं कंकड़ हूँ किनारे का तू बहती सी धारा है ।। मुझे खुद में मिला ले तू बस इतना सा इशारा है ।। छूकर तू जो गुजरेगी तो मुझपर क्या गुजरेगी ।। कैसे बताऊ तेरी सुधि में धड़कन कैसे धड़केगी ।। #devanshparashsr#nojoto#youruntoldwords#Kalakaksh