बंजर धरती तपता सूरज--- कोई उम्मीद नजर नहीं आती है, एक मुसाफिर की आस--- सूखे गले में जगती प्यास--- तन की शीतलता के लिए---- पेड़ों की छांव का आभास कराती है, तब जाकर उस बंजर धरती की पुकार--- इंसान के कानों में बार-बार एक वेदना सुनाती है, ना करो प्रकृति से छेड़छाड़, जिस पेड़ पर बैठे हो तुम--- उसी से कर रहे हो खिलवाड़, गिर जाओगे शाख से नीचे--- जीवन भी गंवाओगे, और जिंदगी ही नहीं बचेगी--- कैसे प्रकृति बचाओगे, सृष्टि का आरंभ प्रकृति, सृष्टि का अंत प्रकृती इतना समझ जाओगे--- प्रकृति की रक्षा कर--- उसका मान बढ़ाओ, एक नन्हा सा पौधा लेकर--- मिट्टी में लगाओगे--- जीवन की बगिया में--- हर पल खुशियां ही सजाओगे, संगीता वर्मा ✍️✍️ #प्रकृति #Trees,❤️🍀🌷 ©Sangeeta Verma #Trees #Trees #prakriti #nature