कोख में पल रही बेटी की वेदना मत मार मेरे बाबा मुझको |बस तार मेरे बाबा मुझको || मैं भगवान की अवतारी हूं |कर उपकार मेरे बाबा मुझ पर || मैं जान गई सब कुछ हूं |कर उपकार मेरे बाबा मुझ पर || तुम भगवान से भी बढ़कर हो |तुम जान गए सब जग को || तुम मूरत इस दुनिया की |मेरी सूरत जग को प्यारी || मेरी मां मुझको तुम बचा लो |बाबा का कहना टालो || जब जब दुनिया में मैं आई |घर घर खुशहाली आई || जब मान मिला तुम सबको |अपनों से हुई पराई || क्या खोया क्या है पाया |कुदरत की अजब है माया || भगवान भी हारा तुम सबसे |वह हार गया तुम सबसे || एक बेटी बोल रही है |सपनों को तोल रही है || मैं भगवान का कोरा पन्ना |अपने मन से सब लिख रचना || तुम लिखोगे पढ़ेगी दुनिया|मत मार कोख बेटी को || तू समझ इस नीति को |तू बदल दे इस रीति को || मत मार मेरे बाबा मुझको |बस तार मेरे बाबा मुझको|| Gudvin.barche@g