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मैं ख़ामोश सी हूँ , दिल में जज़्बात लिए बैठी हूँ...

मैं ख़ामोश सी हूँ ,
दिल में जज़्बात लिए बैठी हूँ...
कोई सुन नहीं रहा ,
आवाज़ दिए बैठी हूँ...
क़ीमत नहीं है जिसकी ,
उसका हिसाब लिए बैठी हूँ...
पढ़ना था कोरा कागज़ ,
पूरी क़िताब लिए बैठी हूँ...
पलकों में थोड़े से ख़्वाब ,
होठों पर मुस्कान लिए बैठी हूँ...
मैं अपनी ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से परेशान हुए बैठी हूँ...
हार नहीं मानना फ़िर भी हैरान हुए बैठी हूँ...

©Vishakha Mishra #kavita
#sahitya
#sahityapremi
#hindipoetry
#hindilovers
#hindikavita
#zindagi
#khamoshi
मैं ख़ामोश सी हूँ ,
दिल में जज़्बात लिए बैठी हूँ...
कोई सुन नहीं रहा ,
आवाज़ दिए बैठी हूँ...
क़ीमत नहीं है जिसकी ,
उसका हिसाब लिए बैठी हूँ...
पढ़ना था कोरा कागज़ ,
पूरी क़िताब लिए बैठी हूँ...
पलकों में थोड़े से ख़्वाब ,
होठों पर मुस्कान लिए बैठी हूँ...
मैं अपनी ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से परेशान हुए बैठी हूँ...
हार नहीं मानना फ़िर भी हैरान हुए बैठी हूँ...

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