अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी संभल जाए अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए मिले है यूं तो बहुत आओ अब मिलें यूं भी कि रूह गर्मी - ऐ - अनफास (warmth of breath) से पिघल जाए ©Abhay yadav a#.....*y #CalmingNature