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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी संभल जाए अब इस क़दर भ

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी संभल जाए 
 अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए 
मिले है यूं तो बहुत आओ अब मिलें यूं भी
कि रूह गर्मी - ऐ - अनफास (warmth of breath) से पिघल जाए

©Abhay yadav a#.....*y

#CalmingNature
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी संभल जाए 
 अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए 
मिले है यूं तो बहुत आओ अब मिलें यूं भी
कि रूह गर्मी - ऐ - अनफास (warmth of breath) से पिघल जाए

©Abhay yadav a#.....*y

#CalmingNature
abhayyadav9647

Abhay yadav

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