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White पल भर की ज़िन्दगी बेरोज़गारी के ताने, माँ भी

White  पल भर की ज़िन्दगी बेरोज़गारी के ताने,
माँ भी ढूँढती है ज़लील करने के बहाने..!

वो दौर ख़त्म पिता के साथ ही,
ख़ुशहाल थे कभी जो गुज़रे ज़माने..!

मौत भी डर रही छूकर तन गुज़र रही,
बदनसीबी का तिलक मस्तक पे लगाने..!

कर्म से अधिक पैसा है अब,
चलते हैं फटे हुए भी नोट पुराने..!

सुख हाज़िर रखा जीवन में हमने जिनकी,
अब वो ही लगे हमारी ख़ुशियाँ चुराने..!

थोड़ा वक़्त क्या बदला रंग अपनों ने दिखाया,
ज्यादा भले न बनना ये सबक ख़ूब सिखाया..!

लहज़ा हमारा अब पसंद न किसी को,
हर शख़्स अकड़ में लगा गुर्राने..!

कोई अपना नहीं सब दौलत के लालची यहाँ,
जहाँ तक चले संग सिर्फ स्वार्थ की माया के दिवाने..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Sad_shayri #berojgari