आज पन्ने पलटता रहा रात भर मैं तुम्हें सोचता ही रहा रात भर ! धुंधली जो लगी आज परछाइयाँ आँख मैं साफ करता रहा रात भर ! याद इतना नहीं पास थी या नहीं मैं मग़र बात करता रहा रात भर ! वो दुपट्टा तेरा था वहीं पर रखा बेख़याली में छूता रहा रात भर ! रात ख़ुश्बू समंदर हुई थी मलय डूब कर मैं निकलता रहा रात भर ! ©malay_28 #रातभर