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आज पन्ने पलटता रहा रात भर मैं तुम्हें सोचत

आज  पन्ने  पलटता  रहा   रात  भर
मैं  तुम्हें  सोचता  ही  रहा  रात  भर !

धुंधली  जो  लगी  आज  परछाइयाँ
आँख मैं  साफ करता रहा रात भर !

याद  इतना  नहीं  पास थी  या नहीं
मैं  मग़र  बात  करता रहा रात भर !

वो  दुपट्टा  तेरा  था  वहीं  पर रखा
बेख़याली  में  छूता  रहा  रात  भर !

रात  ख़ुश्बू  समंदर  हुई  थी  मलय
डूब कर मैं निकलता रहा  रात भर !

©malay_28 #रातभर
आज  पन्ने  पलटता  रहा   रात  भर
मैं  तुम्हें  सोचता  ही  रहा  रात  भर !

धुंधली  जो  लगी  आज  परछाइयाँ
आँख मैं  साफ करता रहा रात भर !

याद  इतना  नहीं  पास थी  या नहीं
मैं  मग़र  बात  करता रहा रात भर !

वो  दुपट्टा  तेरा  था  वहीं  पर रखा
बेख़याली  में  छूता  रहा  रात  भर !

रात  ख़ुश्बू  समंदर  हुई  थी  मलय
डूब कर मैं निकलता रहा  रात भर !

©malay_28 #रातभर
malay285956

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