Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी मज़हब, कभी जाति, तो कभी इज्जत से लहूलुहान

कभी मज़हब, कभी जाति, 
    तो कभी इज्जत से लहूलुहान रही,
पीढ़ी दर पीढ़ी इश्क की
      यही एक दास्तान रही।
    लेखक - पवनकुमार। यही दास्तान।
कभी मज़हब, कभी जाति, 
    तो कभी इज्जत से लहूलुहान रही,
पीढ़ी दर पीढ़ी इश्क की
      यही एक दास्तान रही।
    लेखक - पवनकुमार। यही दास्तान।

यही दास्तान।