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साहस का महत्व ******************* करुणा और दया शब

साहस का महत्व 
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करुणा और दया शब्द का प्रयोग केवल मां- बाप 
और भगवान के लिए ही बना हैं।
 और‌ किसी ने प्रयोग नहीं करना चाहिए इनका ।
क्योंकि इस का प्रमाण देता।
जैसे कि- गुरु जी ने शिष्य पर करूणा और दया प्रयोग
 किया तो एक पक्का ख़त्म होगा या तो गुरु जी या शिष्य,
एक दिन।इसलिए ही हर गुरू जी गुस्सा /क्रोधित रुप दिखाता है ।
अपने शिष्य पर पिट -पिट कर हर शिष्य पर।
शिष्य को सबक सिखाना उनका (कर्तव्य व धर्म) भी होता है।
हर गुरु जी का।
इसमें भी गुरु जी का अपना साहस का राज छुपा होता है ।
अपने गुरु जी का अपने शिष्यों के प्रति। 
इसलिए ओरों को क्या प्रयोग करना चाहिए ।
जो ऊपर बोला यह साहस शब्द ही प्रयोग करें अपने जीवन में।
इसके दो रुप है - आन्तरिक पृवति में और बाहरी पृवति में ।
जैसे कि -  किसी भिखारी को भीख के साथ- साथ 
ऐसी सिख दे जिससे वो कुछ सीख सकें उससे।
आपका सिखाया गया जो ज्ञान वह साहस पुर्ण इसमें।
ओर भिखारी की भी भीख मांगना छुट सके उसके जीवन में।
क्योंकि साहस से साहस को  ही समझना सीखिएं केवल।
और तो अपने आप ही आपके जीवन में आने शुरू हो जाएंगे।
 एक के बाद एक पकड़ कर  रखो केवल साहस को ही।
जैसे कि-आत्मविश्वास ,धैर्य, धीरज, सहनशीलता, निर्बलता , 
दृढ़ संकल्प, साहसीपन, और सफलता आपके ह्रदय में भी।
उसके बाद आपके भौतिक जीवन में भी ।
धन्यवाद जी

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