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‘ख्वाइशों के फेहरिस्त’ ख्वाइशों के फेहरिस

         ‘ख्वाइशों के फेहरिस्त’
ख्वाइशों के फेहरिस्त बचपन में थी छोटी सी
बस यही अरमान था मैं रहूं नन्हीं परी पिता की।

कच्ची उम्र से जब कुछ मैं आगे बढ़ी
चाहत थी बस अपनी मनमानी करने की
ख्वाइश थी दूर आसमां में पंख फैला उड़ने की।

टूटे मेरे ख्वाइश और सारे सपने जब आया जिंदगी मेरे किसी देश का राजकुमार
कतर दिए उसने पंख मेरे हौसलों के उड़ान का।

किसी के लिए बोझ थी किसी के लिए जिम्मेदारी सबने थमा दिया बस अपना निर्णय किया बस अपनी मनमानी। 

किसी ने ना सुनी मेरी एक बात
सबके हाथ की थी मैं एक कठपुतली।

सामाजिक बेड़ियों मैं जकड़ी एक लड़की थी
किसी पिता या पुरुष ने मेरे ख्वाइशों की फेहरिस्त ना समझी।।

 #कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकागज़
#kkpc19
#विशेषप्रतियोगिता
         ‘ख्वाइशों के फेहरिस्त’
ख्वाइशों के फेहरिस्त बचपन में थी छोटी सी
बस यही अरमान था मैं रहूं नन्हीं परी पिता की।

कच्ची उम्र से जब कुछ मैं आगे बढ़ी
चाहत थी बस अपनी मनमानी करने की
ख्वाइश थी दूर आसमां में पंख फैला उड़ने की।

टूटे मेरे ख्वाइश और सारे सपने जब आया जिंदगी मेरे किसी देश का राजकुमार
कतर दिए उसने पंख मेरे हौसलों के उड़ान का।

किसी के लिए बोझ थी किसी के लिए जिम्मेदारी सबने थमा दिया बस अपना निर्णय किया बस अपनी मनमानी। 

किसी ने ना सुनी मेरी एक बात
सबके हाथ की थी मैं एक कठपुतली।

सामाजिक बेड़ियों मैं जकड़ी एक लड़की थी
किसी पिता या पुरुष ने मेरे ख्वाइशों की फेहरिस्त ना समझी।।

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