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तुझे खोकर मैं बिखर गया था मैं ठहर गया था, वक्




तुझे खोकर मैं बिखर गया था


मैं ठहर गया था, वक्त के संग तुझे खोकर मैं बिखर गया था।
अनसुने बहाने जाने कितने फसाने 
लिखना तो जैसे भूल गया ।।
तुम्हारी खामोश जज्बातों को कलम से सजाकर 
दुनिया को जताना, हां भूल गया था शायद...
आज उस उड़ते पन्नों की खामोशियो ने शायद जगाया है मुझे 
या तेरी याद ने बेहोश होती ,
मेरी निगाहों से उस ख्वाब के पर्दे को उठाया है।।
हां मैं मुसलसल वो अल्फाज़ नहीं लिख पाया ।
जो बयां कर सके उसे दर्द की सच्ची कहानी 
वो शब्द,वो नज्म वो कविता
हां मैं नहीं लिख पाया ।।
सीख जाऊं जज्बात दबाना, वह तुम्हारी खामोशियों को पढ़ना 
सब जान के भी अनजाने बने रहना 
हां मैं नहीं कर सका 
इतना, इतना कठोर नहीं बन गया था।
मैं ठहर गया था, वक्त के संग तुझे खोकर मैं बिखर गया था।।

©Ahsas Alfazo ke
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