आज का सà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° सब्र कहां इंसानों को, जंग लड़ने चले हैं। बिन सब्र है कर्म अधूरे,, स्वयं अपने को छले है। ©Satish Kumar Meena सब्र