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रिश्तें और आशाएँ रिश्ते को जाने क्यों उम्मीदों का

रिश्तें और आशाएँ रिश्ते को जाने क्यों उम्मीदों का शहर बनना था!
एक ही पहर में खुद सहर को दोपहर बनना था।

रिश्ते की मिठास बढ़ाने, मैं आशाएँ मिलाता रहा,
ज़ाहीर है, इस चाय को एक दिन ज़हर बनना था। #Relationships #December #expectations #poison
रिश्तें और आशाएँ रिश्ते को जाने क्यों उम्मीदों का शहर बनना था!
एक ही पहर में खुद सहर को दोपहर बनना था।

रिश्ते की मिठास बढ़ाने, मैं आशाएँ मिलाता रहा,
ज़ाहीर है, इस चाय को एक दिन ज़हर बनना था। #Relationships #December #expectations #poison
kiranpujari3203

Kiran Pujari

New Creator