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हँसना-मुस्कुराना लबों का गुनगुनाना बिन मोबाइल ही त

हँसना-मुस्कुराना लबों का गुनगुनाना
बिन मोबाइल ही तुझसे बात करना..

देखकर मुझे दोस्तों! ने पूछ ही लिया
अनिल! क्या तुमको प्रेम हो गया है?

मैंने मुस्कुराकर कहा मुझे लोभ कहाँ
मुझे प्रेम नही अनिल प्रेम हो गया है।

उस कोमल हाथ! का आत्मीय स्पर्श
लहू बनकर नस-नस में दौड़ गया है।

लिखना चाहता 'गीत-गजल' उस पर
हाथ का यूं छूना कविता बन गया है।

रोमांस के लिए जिस्म की चाह किसे
मरकर यें जिस्म रूह से मिल गया है।

रुक्मणि ने कहाँ सुख पाया महल में
जो राधा को बिनमहल मिल गया है।

©Anil Ray
  विचारार्थ लेखन.....................✍🏻🤔

प्रेम चाहिए सबको, मगर देते है दुनिया भर के गिफ्ट और चाहते है बदले में सिर्फ औरत मर्द का और मर्द औरत का जिस्म।

ना तो गिफ्ट कोई प्रेम की निशानी है , ना ही गिफ्ट के बदले अपनी  वासना के घोड़े को औरत-मर्द के जिस्म में भोगने को प्रेम कहते है।

प्रेम तो मन की भावना की बात है ! मेरे अनुसार तुम तन की वासना को प्रेम बनाने की कोशिश कर रहे हो।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator

विचारार्थ लेखन.....................✍🏻🤔 प्रेम चाहिए सबको, मगर देते है दुनिया भर के गिफ्ट और चाहते है बदले में सिर्फ औरत मर्द का और मर्द औरत का जिस्म। ना तो गिफ्ट कोई प्रेम की निशानी है , ना ही गिफ्ट के बदले अपनी वासना के घोड़े को औरत-मर्द के जिस्म में भोगने को प्रेम कहते है। प्रेम तो मन की भावना की बात है ! मेरे अनुसार तुम तन की वासना को प्रेम बनाने की कोशिश कर रहे हो। #कविता #romanticstory

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