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कुछ रिश्ते रूठ गए, कुछ अपने छूट गए, सजाए थे आँखो

कुछ रिश्ते रूठ गए, 
कुछ अपने छूट गए, 
सजाए थे आँखों में
सारे सपने टूट गए!
नाज़ुक शीशे के जैसे 
पल में कैसे फूट गए!
माना जिनको अपना
वह हमको लूट गए!
कुछ रिश्ते रूठ गए, 
कुछ अपने छूट गए, 
सजाए थे आँखों में
सारे सपने टूट गए!

©SumitGaurav2005
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