#DelhiPollution विमुख होने लगूं तुमसे कभी थाम लेना हाथ मेरा इशारों से ही उस रुख को मोड़ देना मेरी ओर गुजारिश बस अब छोड़ना न तुम साथ मेरा आने वाले तूफान में बिखरने से अब बचा लेना मेरे बेरंग गागर को प्रेम संग सागर में रंग लेना खिल खिलाते मुस्कराते जीवन को मेरे अपने प्रीत के पलने से बाँध झरोखों से झुलाते रखना प्रेम के इस दीप को अब हमेशा रोशन रखना ।। ©Mahadev Son प्रीत #delhipollution