ज़रुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हों... ज़रुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हों !! कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करतीं हैं... ज़रुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हों ।। #कश्तियाँ #कश्ती_ए_इश्क़