इन शामो में कुछ कमी सी हैं आंखों में थोड़ी नमी सी हैं, सांसे भी अब कुछ थमी सी हैं बंजर सी अब जमीं भी हैं।। ढूंढता तो मैं हु तुम्हे हर मोड़ पे, लेकिन तू कही नहीं हैं #कहाँ हो तुम