घूंघट में चाँद देख के ऐसे कुकृत्यों को चाँद बेचारा रोया है निर्मम पापी राक्षसो ने अब बच्चियों को तक ना छोड़ा है रे भेड़िये ये हवसी तू हवस में अँधा है आज कल तो बच्चों की किडनी बेचने का भी धंधा है देख के इतना जुल्म जमी पे कैसे में मुख दिखलाऊँ जब भी जमी पे आऊं तो घुघट हमेशा संग लाउ ✍️विवेक दाधीच✍️ #Ghoonghat