मुस्कुराने की वजह ढूंढती हूँ मैं बेवजह भी मुस्कुरा लेती हूँ कभी कभी, अगर बहार लगा हो खुशियों का मेला और दिल हो अकेला,,,उदास,,,, फिर काहे का खेल खेला,,मस्ती का रेला ऊखडे बिखरे से फिरो,,,चिड़े चिड़े से घूमो,,,, कर लो जतन चाहे हजार, दिल बहलाने के फुसलाने के,,,,