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गति प्रबल पैरों में भरी फिर क्यों रहूँ, दर दर खड़ा

गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ, दर दर खड़ा।। 
जब आज मेरे सामने हैं रास्ता इतना बड़ा
जब तक ना मंजिल पा सकूँ,  तब 
 तक ना मुझे विराम हैं। । 
चलना हमारा काम हैं, चलना हमारा काम हैं।

©Raveena Mahto चलना हमारा काम हैं, चलना हमारा काम हैं। 

#India
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ, दर दर खड़ा।। 
जब आज मेरे सामने हैं रास्ता इतना बड़ा
जब तक ना मंजिल पा सकूँ,  तब 
 तक ना मुझे विराम हैं। । 
चलना हमारा काम हैं, चलना हमारा काम हैं।

©Raveena Mahto चलना हमारा काम हैं, चलना हमारा काम हैं। 

#India