तेरे इश्क में हार कर मैं संत हो गया । जिंदगी के शाख से टूट कर गिरते रहे पत्ते हर पतझड़ के बाद फिर मैं बसंत हो गया। बहारों को बहुत करीब से देखता हूं आते जाते एक मुहब्बतने ठुकराया क्या,? ना जाने कितनो का मनपसंद हो गया Adarsh Upadhyay mere ishq ki haar