हवस की शिकार इंसानियत है, गजब का इंकार है,वहशत है। दरिंदों में परिंदों की भी कतार खूब, दरिंदों में वहीं ज्यों गफलत है। बतायें लोग -टेढ़े रस की जलेबी खान, सीधे बांस 'कटें'की तोहमत है। नहीं अच्छी सरोज, सादगी संभले लो, साफ दिल होना भी जहमत है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #सादगी भली नहीं!