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हवस की शिकार इंसानियत है, गजब का इंकार है,वहशत है।

हवस की शिकार इंसानियत है,
गजब का इंकार है,वहशत है।
दरिंदों में परिंदों की भी कतार खूब,
दरिंदों में वहीं ज्यों गफलत है।
बतायें लोग -टेढ़े रस की जलेबी खान,
सीधे बांस 'कटें'की तोहमत है।
नहीं अच्छी सरोज, सादगी संभले लो,
साफ दिल होना भी जहमत है।

©BANDHETIYA OFFICIAL #सादगी भली नहीं!
हवस की शिकार इंसानियत है,
गजब का इंकार है,वहशत है।
दरिंदों में परिंदों की भी कतार खूब,
दरिंदों में वहीं ज्यों गफलत है।
बतायें लोग -टेढ़े रस की जलेबी खान,
सीधे बांस 'कटें'की तोहमत है।
नहीं अच्छी सरोज, सादगी संभले लो,
साफ दिल होना भी जहमत है।

©BANDHETIYA OFFICIAL #सादगी भली नहीं!