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नश्वर है शरीर पर रूह तो अमर है, ज़िन्दगी की साँसें

 नश्वर है शरीर पर रूह तो अमर है,
ज़िन्दगी की साँसें फँसी बीच भंवर है..!

क्या तेरा और क्या मेरा करना,
ज़िन्दगी को दम्भ से क्यों भरना..!

स्वभाव संस्कार किसी के किये उपकार,
हार के डर से मरना बेकार..!

चलेगी जब तक ज़िन्दगी रौशन करते रहो ख़ुद को,
मदहोश होकर यूँ ही क्यों सुधबुध खो..!

तक़दीर का लिखा न मिटाया जा सकेगा,
न बदल कभी किरदार अपना रहना सदा ज्यों का त्यों..!

©SHIVA KANT
  #nashwar