चौदह भुवनों के जो स्वामी जो सकल सृष्टि के रक्षक है वो महाकाल वो महारुद्र वो जो दुर्गुण के भक्षक हैं चंद्र, सूर्य, और अग्नि तीनो हैं जिनके त्रिनयन बने वो विश्वरूप, वो रामेश्वर हर स्वास कि जिनका पवन बने वो नीलकंठ, वो गंगाधर शशिशेखर, औघड़दानी है वो शिव शम्भू, वो शर्भेश्वर डमरूधर, वो शूलपाणि है वो आदियोगी, वो आदिगुरु जग के कर्ता, जग के कारण वो त्रिपुरारी, पार्वतीपति जिनके भक्त स्वयं हैं नारायण वो पशुपति, वो भूतनाथ वो सबसे भोले भाले है कोई देव हो या कोई देवराज महादेव सभी से निराले है नंदी जिनके वाहन है जो ध्यान मगन सन्यासी है गले में सर्प, तन पर भभूत वो जो श्मशान निवासी है जो सगुन रूप में ध्यानी है निर्गुण हो खुद ध्यान रूप जो सबमे हैं, और कही नही वो शिव शाश्वत आनंद अनूप वो एकलिंग जिनकी पूजा में रत ये सारी सृष्टि है वो हवि, यज्ञमय, शून्य रूप जिनमे लीन समष्टि है हम हाथ जोड़ कर प्रभु तुम्हारी वंदना करें है वामदेव, पंचवक्त्र हम तुम्हारी अर्चना करें हे सामप्रियः स्वरमयी हे विरूपाक्ष त्रिनयन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन तुम्हे नमन, तुम्हे नमन ©Manaswin Manu #Manaswin_Manu #aadiyogi #shiv