(वजह ही बेवजह हैं) क़भी क़भी मैं हो जाती हूँ मैं नाराज़ बेवजह ही करती हूँ शिकायत खुद से वजह क्यों नहीं मिलती रोने के लिए दिल के छुपे हुए दर्द से लड़ने के लिए बेवजह ही हँसना क्यों जरूरी होता हैं वजह से ही रोना क्यो ज़रूरी होता है बिना चोट के भी दर्द होता हैं मुझे जब किसी के शब्द बींध जाते है मुझे लौट जाना बेवजह ही तेरा महफ़िल से मेरे अनदेखे दर्द की वजह बन जाता हैं मेरा दर्द ना जाने क्यों इस दुनिया में तेरे जीने की वजह बन जाता हैं #हिन्दीप्रभात2 #हिन्दीप्रभात #hpjanuary1_021 #हिन्दीप्रभातजनवरी2021 Hindi Prabhat