जिंदगी मिली,खुशियाँ खिली...... महकने लगी,जैसे हर एक कली .... आशाएं जगी,बस अपनी लगी ..... ना जाने क्युन,एक साज सजी .... बहती है कल -कल जैसे कोई नदियाँ.. चलती है चंचल सी पावन यॆ बग्गिया .. मुस्काती है मोहक,लगे जब दुनियाँ ... मन मैं खिली बस,एक नन्ही सी छवि ... जिंदगी मिली,खुशियाँ खिली ... स्वाति की कलम से . #swatikikalamse #zindagimili#poem