एक परिंदा यूहीं आज आकर मेरे पास बैठ गया मानो मुझसे कुछ पूछने आया हो उसकी नजरों को बखूबी पढ पा रही थी मैं वो खामोश था पर कुछ पूछ रहा था बताओ कैसा लगता है ये पिंजरा, ये कह रहा था मैंने मुस्कराते हुए कहा क़ैद तो हम औरतें हमेशा ही रहीं हैं कभी घर की सीमाओं की कभी समाज की सोच की कभी रूढ़िवादी धारणा की कभी किसी दरिन्दे की दरिंदगी की कभी कुछ ना मिला तो अपनी ही मन की वेदना की क़ैद तो हम हमेशा ही थी आज के फर्क़ से भी मिला दूँ तुम्हें फर्क़ सिर्फ ये है आज हमें कैद करने वाले भी क़ैद हैं.. ये पिंजरा दिखता नहीं पर यही औरतों की कहानी है! -कंचन😊 #stopwomenharassment #ChangeYourself #changeyourthinking #Change #feather