लम्हा लम्हा अपनी हर सांस वतन के नाम कर रहे हैं। फौजी और किसान कभी युद्ध की चाहत नहीं रखते हैं। हमेशा देश में अमन चैनों सुकून देखना चाहते हैं।। मगर कोई हम पर हथियार उठाये तो हथियार उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। फौजी और किसान युद्ध का दर्द जानते हैं। फौजी और किसान माटी का मोल जानते हैं।। युद्ध का परिणाम जानते हैं। चाहे जीत हो या हार बेवजह घायल वो भी होंगे जिनका कोई कसूर तक नहीं। मां बाप की झोली से बेटा छीन जायेगा।। बहन का भाई छीन जायेगा। बेटे बेटी का बाप छीन जायेगा।। दोस्तों से उनका प्यारा दोस्त छीन जायेगा।। मगरमच्छ के आंसू बहाना जानती है चण्डाल चौकड़ी। शहीद के घरवालों का दर्द बांटना नहीं जानता है। फौजी और किसान के परिवारों का का सहारा नहीं बनना जानती है चण्डाल चौकड़ी।। मुल्कों को आपस में लडवा कर मजा उठाना जानती हैं चण्डाल चौकड़ी।। ©Aishwarya CMH लम्हा लम्हा अपनी हर सांस वतन के नाम कर रहे हैं। फौजी और किसान कभी युद्ध की चाहत नहीं रखते हैं। हमेशा देश में अमन चैनों सुकून देखना चाहते हैं।। मगर कोई हम पर हथियार उठाये तो हथियार उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।