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मेहरबानी ओ अता, फ़ज़्लो करम ले आए हाय किस मोड़ पे मु

मेहरबानी ओ अता, फ़ज़्लो करम ले आए
हाय किस मोड़ पे मुझको मेरे ग़म ले आए
مہربانی  ؤ  عطا ,  فضل  ؤ  کرم  لے  آۓ
ہاۓ کس موڈ پے مجھکو میرے غم لے آۓ
और तो कुछ न थी पूर्खों की विरसत लेकिन
एक  बदनामी बची थी  सो  वो हम  ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ 
उनकी ज़िद थी तो इसी ज़िद पे गए थे मिलने
और  लौटे  तो  ना मिलने की  क़सम ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ 
दिल पुकारा कि नहीं अब नहीं जाना फिर भी
तेरी  जानिब   मेरे  बे  बाक   क़दम  ले  आए
دل پکارا کے نہیں اب نہیں جانا پھر بھی
تیری جانب میرے بے باک قدم لے اۓ 
कुछ तो लानी थी निशानी भी सफर की हमको 
खाक  बालों  में   तो   पैरों  में  वरम   ले  आए
کچھ تو لانی تھی نشانی بھی سفر کی ہم کو
خاک بالوں میں تو پیروں میں ورم لے آۓ 
उससे कह दो कि मुझे मसअला हल करना है
मेरी   शमशीर  को  रख   आए  क़लम ले आए
اس سے کہ دو کے مجھے مسعلہ حل کرنا ہے
میری شمشیر کو رکھ آۓ  قلم لے آۓ 
मैं जो रिज़वान लिए ग़म सर ए महशर निकला
लोग चिल्लाए ये क्या जाह-ओ-हशम ले आए
میں جو رضوان لئے غم سر محشر نکلا
لوگ چللاۓ یہ کیا جاہ و حشم لے آۓ 
रिज़वान हैदर

©Tammar Naqvi Rizwan मेहरबानी ओ अता, फ़ज़्लो करम ले आए
हाय किस मोड़ पे मुझको मेरे ग़म ले आए
مہربانی  ؤ  عطا ,  فضل  ؤ  کرم  لے  آۓ
ہاۓ کس موڈ پے مجھکو میرے غم لے آۓ
और तो कुछ न थी पूर्खों की विरसत लेकिन
एक  बदनामी बची थी  सो  वो हम  ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ
मेहरबानी ओ अता, फ़ज़्लो करम ले आए
हाय किस मोड़ पे मुझको मेरे ग़म ले आए
مہربانی  ؤ  عطا ,  فضل  ؤ  کرم  لے  آۓ
ہاۓ کس موڈ پے مجھکو میرے غم لے آۓ
और तो कुछ न थी पूर्खों की विरसत लेकिन
एक  बदनामी बची थी  सो  वो हम  ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ 
उनकी ज़िद थी तो इसी ज़िद पे गए थे मिलने
और  लौटे  तो  ना मिलने की  क़सम ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ 
दिल पुकारा कि नहीं अब नहीं जाना फिर भी
तेरी  जानिब   मेरे  बे  बाक   क़दम  ले  आए
دل پکارا کے نہیں اب نہیں جانا پھر بھی
تیری جانب میرے بے باک قدم لے اۓ 
कुछ तो लानी थी निशानी भी सफर की हमको 
खाक  बालों  में   तो   पैरों  में  वरम   ले  आए
کچھ تو لانی تھی نشانی بھی سفر کی ہم کو
خاک بالوں میں تو پیروں میں ورم لے آۓ 
उससे कह दो कि मुझे मसअला हल करना है
मेरी   शमशीर  को  रख   आए  क़लम ले आए
اس سے کہ دو کے مجھے مسعلہ حل کرنا ہے
میری شمشیر کو رکھ آۓ  قلم لے آۓ 
मैं जो रिज़वान लिए ग़म सर ए महशर निकला
लोग चिल्लाए ये क्या जाह-ओ-हशम ले आए
میں جو رضوان لئے غم سر محشر نکلا
لوگ چللاۓ یہ کیا جاہ و حشم لے آۓ 
रिज़वान हैदर

©Tammar Naqvi Rizwan मेहरबानी ओ अता, फ़ज़्लो करम ले आए
हाय किस मोड़ पे मुझको मेरे ग़म ले आए
مہربانی  ؤ  عطا ,  فضل  ؤ  کرم  لے  آۓ
ہاۓ کس موڈ پے مجھکو میرے غم لے آۓ
और तो कुछ न थी पूर्खों की विरसत लेकिन
एक  बदनामी बची थी  सो  वो हम  ले आए
اور تو کچھ نہ تھی پرکھوں کی وراثت لیکن
ایک بدنامی بچی تھی سو وہ ہم لے آۓ