हाँ अब थोड़ा थक गई हूं मैं, वक़्त के इस भंवर जाल में थोड़ा उलझ गई हूं मैं, ना जाने ये मंजर कब तक यूंही चलेगा, और ये वक़्त भी न जाने कितने और सितम करेगा..! खैर वक़्त को कौन रोक पाएगा, ना ही कोई इसे बदल पाएगा, ये तो बस यूँही अपनी गति से चलता जाएगा, वक़्त की आदत है यही, तन्हा कभी ये आता नहीं, संग लाता है एक हाथ में खुशी तो दूसरे में गम कहीं, बस यही सोच कर मैंने भी इसे अपना लिया, आज गम है तो खुशी भी लाएगा यही..! की अब गम को भी मुझसे रूबरू होने का मौका मिले, बयां कर सके ये भी अपने सभी शिकवे गीले, भला इसको भी अपनाने वाले इसे कहाँ मिले, हां, अब थोड़ा थक जरूर गई हूं मैं, पर मैंने खुद को समझा लिया..! Devika❣️ #thakgyihu